जीवन धागा
कविता: जीवन धागा कहे राजेन्द्र, क़ि, इंसान के, जन्म और, मृत्यू के, बीच का सफ़र, कहलाता, जीवन धागा। धागे के, एक सीरे पर, होता जन्म, तो, दुसरे सीरे पर, होता,मृत्यू का भाग आधा। ----------------------------------------------- गर्, दोनों सीरों के बीच, जीवन में, पाना है, सब का प्यार, ज्यादा। तो, उसके लिए, रखना है, ये ध्यान, क़ि, जीवन हो, सीधा, साधा। साथ में, सब के साथ, उचित हो व्यवहार, और, बनी रहे, मर्यादा। ----------------------------------------------- जीवन धागे में, पिरोये गए हों अच्छे कर्मो के पुष्प, और, उस माला का, प्रभू चरणों में हो, अर्पण। जीवन धागे से, रफ़ू हों, लोगों के, दुःख दर